HOW TO BE FEMALE PREGENT IN HINDI AND ENGLISE



अब डरने की कोई बात नहीं, शुक्राणुओं की कमी के बावजूद आप बन सकते हैं पिता...??????


भारत में करीब 2.7 करोड़ लोग प्रजनन क्षमता घटने से परेशान हैं। बताया जा रहा है कि पुरुषों की करीब 1 प्रतिशत आबादी एजोस्पर्मिया नाम के रोग से पीड़ित है जिसमें पुरुष के अंदर शुक्राणु बेहद कम मात्रा में या बिल्कुल भी नहीं होते। ऐसे मरीजों के लिए अभी तक सिर्फ 2 ही विकल्प उपलब्ध होते थे- किसी बच्चे को गोद लेना या फिर शुक्राणु दान में प्राप्त करना। लेकिन अब कई तरह की सर्जिकल और अन्य प्रक्रियाएं मौजूद हैं जिनसे गर्भ ठहराने में मदद मिल सकती है।
आईवीएफ व इन्फर्टिलिटी के डायरेक्टर डॉ हृषिकेश डी पाई ने बताया कि माइक्रो-टीईएसई यानी माइक्रोसर्जिकल टेस्टिक्यूलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन के जरिए यह संभव हो सकता है। 


पिछले दिनों फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल में इस तकनीक से एक पुरुष का सफल उपचार भी किया जा चुका है। माइक्रो-टीईएसई का संबंध उच्च शुक्राणुओं से है और इसमें अंडकोश को क्षति नहीं पहुंचती। यह एक उच्च तकनीक है जिसे विशेषज्ञ की उपस्थिति में प्रयोग में लाना चाहिए जिसे सर्जरी का अच्छा अनुभव हो। वैसे इस तकनीक का इलाज कुछ ही बड़े प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध है। 

हाल ही में एक अध्ययन के जरिए पता चला है कि स्पर्म ऐस्पिरेशन विधि से अंडे को निषेचित करने में 70 प्रतिशत सफलता मिल जाती है फिर भले ही शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम ही क्यों न हो। 

इस तरह के मामलों में ऐसे दंपतियों के लिए आशा की किरण मौजूद है जिनमें पुरुष अपनी शारीरिक कमियों के चलते संतान उत्पत्ति में असमर्थ हैं। 

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