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Showing posts from July, 2019

Adult joke in Hindi teri yaad status shayari

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 Fun wali duniya.....!! https://youtu.be/-vILDPN0wGE मोहब्बत तो हमने उसी दिन छोड़ दी थी               जब उसने कहा था कि                  अगर मुँह मे दोगे तो             मेरी भी चाटनी पडेगी...!! 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 🤔🤔🤔🤔🤔🤔आज कल की लड़कियां भी ग़ज़ब ढहा रहीं हैं  जो खाने की चीजे है उसे चूत मे घुसा रही है और जो चूत  मे घुसाने का हे उसको चूसें जा रही है 😂😂😂😂😂😂 संता: क्यों बेटा लड़की पसंद आई तुम्हें? पप्पू: पापा लड़की तो बहुत मोटी है। संता: बेटा घर कितना भी बड़ा हो, दरवाजा छोटा ही होता है। 😌😜😝😂😝😂😝😂😝 mere sath kuch kadam chal lo na. . . Darta hu kuch logo se mai. . . apne haton se mere hath ko pakad lo na. . . fir safar or achha ho jayega mera tumre sath. . . mera lund muhh mai leke kulla kr lo na...  सुनसान गली में संता सुसु कर रहा था, "एक लड़की डर के रुक गई।" संता बोला, "आप निकल जाओ बहन जी, आप जिससे डर रही हो, उसको मैंने पकड़ रखा है।" 😌😜😝😂😝😂😝😂😝  एक बच्चे की गांड में कंचे (बंटे) की गोली फंस गई।

Sachhi Kahani mere bachpan ki,,

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TRey in every person life,, ye khusiyo bhara pal. Jo bit Gaya Kal. . . bahot jyada yaad aata hai na. na kisi ko kho Jane ka daar tha, Na kisiko chhod Jane ka. . . . sabke chehare pe ek hi muskan hoti thi. Kal firse ek sath khelenge na. or duniya se kuch Lena Dena bhi na tha. . . Bs chinta to iss baat ki thi Meri khelne ki baari kab aayegi. . teri to haar bhari a jaati hai. Meri to haar bazi maari jaati hai. . . sab pass the koi dur na tha. koi kisi se Milne ko majbur na tha. . . kaisa ye pal tha na. Jo bit Gaya vo Kal tha na.., .. . .kisi yaad Hume सताती नहीं थी, भूलानी थीं जो बात वो याद आती नहीं थी। ,. । ।, , , चांद घंटो में सारा जहान मिल जाता था, खेलके २ ghant दिन मै मेंरे बचन के दोस्तों के साथ। आसमान मिल जाता था। , , , कैसा वो पल था ना ।  bit Gaya vo Kal tha na।।।

Good think do have need

Real thoughts.. तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है, और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है // *ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है // तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है // *थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते // तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है। *गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास !! तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है // *मौन* होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं // तू इस *मशीनी दौर* को *परिवार* कहता है // जिनकी *सेवा* में *खपा* देते थे जीवन सारा, तू उन *माँ बाप* को अब *भार* कहता है // *वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे, तू *दस्तूर* निभाने को *रिश्तेदार* कहता है // बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें* // तु अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार* कहता है // बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में // पूरा *परिवार* भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है // अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं // तू इस *नये दौर* को *संस्कार* कहता है *........//* ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 ✍🏻✍🏻 पढ़ने के बाद मैं रोक न सका और आप सभी के ब